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Tuesday, May 1, 2018

कहाँ गई वो




   








।।  कहाँ गई वो ।। 

 कहाँ गई वो चिड़ियाँ जो

 मेरे घर आया करती थी ।।

 सुबह-शाम मेरे घर आँगन।

 में  चह  चाया  करती  थी।।               


       
हम  जब  सोए  रहते  थे

      सुबह हमें जगाया करती थी।।
      फुदक-फुदक कर
      कूदक-कूदक कर 
      खुशी  जताया  करती  थी ।।
इन्हें भी पढ़िये :-

खाके  चावल  के  टुकड़े
पानी पी जाया करती थी ।।
मेरे घर में वो पेड़ नही  
जिस पर वो बैठा करती थी ।।
                 
      उड़-उड़ कर बच्चों के लिए
      खाना  वो लाया करती थी ।।
      कहाँ गई वो चिड़ियाँ जो
      मेरे घर आया करती थी ।।
      मेरे घर आया करती थी ।।

Thanks for reading   📝
                       Ashok Kumar 
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
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