।। है कोई जो मेरे इस ।।
है कोई जो मेरे इस,
सुंदर पर की तारीफ करें।
मैं अपनी पर फैलाई हूं ,
आके हो कोई समीप खरे।
इन्हें भी पढ़िये :-
पर के कोर ऐसे दिखती है ,
हो जैसे धार तलवार में ।
जहां भी जाऊं हवा चीर के,
उड़ जाऊं एक बार में ।
छोटे-छोटे और बड़े-बड़े ,
है मेरे पर के कतार ,
तितली से सुंदर दिखती हूं ,
देखो तो मुझे एक बार ।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar✍
No comments:
Post a Comment