छोटी चिरैयाँकहाँ गई थी


।। छोटी चिरैयाँ कहाँ गई थी  ।।
talking birds

 

छोटी चिरैयाँ कहाँ गई थी ,
अपने पर फैलाई हो ।
 चीं-चीं करके किसे बुलाती,
 मुहँ में क्या दबाई हो  ।
 इसीलिए कुछ लाई हो 
  हमें भी कोई गीत सुनाओ ,
  सबके मन को भाइ हो 
         बहुत दिनों के बाद तुम
        मेरे आँगन में आई हो 

Thanks for reading 📝
               Ashok  Kumar✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर 
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
 पर शेयर करना  और फॉलो ना भूले 🙂 

अपना  बहमूल्य  समय  देने के धन्यवाद।  

1 टिप्पणी:

Blogger द्वारा संचालित.