Breaking

Tuesday, May 8, 2018

कौआ बोला कोयल से

।। कौआ बोला कोयल से ।।






कौआ बोला कोयल से
आओ चले कनेर पर  ।।
      
कोयल बोली मैं तेरे संग  
क्यों जाऊँ कनेर पर ।।
तू बैठके कर यहाँ कौऊँ-कौऊँ
मैं तो चली महूआ के पेड़ पर

    इस डाली से उस डाली पर
       कुहूक -कुहूक कर गाएगें ।।
       और वहाँ हम मीठे मीठे
       महूआ के फूल खाएंगे ।।
     
 अगर जानें में देर हूअा तो
 हम भूखे रह जाएगें  ।।
 सूरज निकलने से पहले महूआ के
 सारे फूल गिर जाएगें  ।।             
      
       सुबह मधु मक्खियों की भीन-भीन
       भंवरों का गूँजन होगा ।।
       हमें बड़ा मजा आएगा 
       वहाँ और पंछी होगा ।।

-- तेरे संग में मैं
क्यों जाऊँ कनेर पर ।।
तू बैठके के कर यहाँ कौऊँ-कौऊँ
मैं तो चली महूआ के पेड़ पर  ।।
Thanks for reading   📝
                     Ashok Kumar
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
आपको कैसी लगी हमको कमेंट करके जरुर 
बताए और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया
 पर शेयर करना  और फॉलो ना भूले 🙂 

अपना  बहमूल्य  समय  देने के धन्यवाद।  

No comments:

Post a Comment