।।
धुआं में शहर , हवा में जहर ।।
हमने पटाखावली मनाया ,
दिपावली को पीछे छोड़ दिया ।
अरबो का पटाखा फोड़ कर हवा में,
लाखों टन जहर घोल दिया ।
इन्हें भी पढ़िये :-
- क्यों नहीं आती मेरे घर
- दिल करता है मेरा मैं
- माँ तू भगवान के हाथों की
- लकड़ी चोर मुर्दा
- आज वर्षो बाद फिर ।शहर में दंगा भरका है
ये क्या हाल बन गया ,
देश के कैपिटल में ।
सारा शहर बदल गया है ,
देखो अब हॉस्पिटल में ।
नाश्ता
दुआ से होता है,
लंच में धुआं खाता
है ।
नाक और मुंह पर कपड़ा बांध के,
अब घर से बाहर जाता
है ।
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किसी का है आंखों में जलन,
तो किसी का धड़कन तेज है।
अभी सभी शहर वासी को,
धुआँ से बहुत परहेज है।
खुला
सभी दरवाजा खिड़की,
कह दिया बंद ही रखने
को।
बुजुर्गों को भी कह
दिया है ,
घर के अंदर ही रहने
को।
किसी के गले में हैें खराश
किसी का छाती जाम है।
अब सारे शहर में यही बातें ,
सुनने
को मिलता आम है ।
आज हर
कोई जूझ रहा है,
स्वच्छ वायु के कुपोषण
से।
बीमार हजारों हो रहे
हैं ,
अब वायु प्रदूषण
से ।
Thanks for reading 📝
Ashok Kumar ✍
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