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Saturday, December 8, 2018

।। मैं पंछी हूं , मैं पंछी हूं ।।


।। मैं पंछी हूं , मैं पंछी हूं ।।

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मैं  पंछी  हूं , मैं  पंछी  हूं ,
हवा में योगा मैं करती हूं ।
हरदम स्वस्थ मैं रहती हूं ,
दूर-दूर तक मैं उड़ती  हूं ।

       हवा में विचरण मैं करती हू
       प्राकृतिक  में  रंग  भर्ती  हूं ।
       जिस डाल पर जा कर बैठी,
       उसको भी सुंदर करती हूं ।
जब चाहीे मैं उड़ी हवा में ,
जब  चाही  बैठी डाल  पे ।
सबके मन को मैं भाती हूं ,
जाऊं जहां जिस हाल में ।

        हवा में ही भोजन करती हूं ,
        जी चाहे जहां मैं फिरती  हूं ।
        बस पानी  पीने के लिए ही,
        जमीन  पर  मैं  उतरती  हूं।
     
       Thanks for reading 📝
                        Ashok Kumar
     

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