।। मुझे बचा लो मां ।।
मुझे पकड़ के रखना मां ,
नहीं तो मैं
गिर जाऊंगी ।
अगर टूट गया पर मेरा ,
कभी न मैं
उड़ पाऊंगी ।
कहीं थी ना मैंने तुमको ,
डाल पर बैठे रहने को ।
पर तुम उड़ने निकल पड़े ,
मनी नहीं मेरे कहने को ।
सोची
की अपनी मां के ,
काम में हाथ बटा दूं ।
मैं भी
अपने घर के लिए ,
उड़ कर
दो तीनका लादू ।
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यही सोच कर
मां मैं ,
डाली से उड़ने लगी ।
पहली
बार उड़ना चाहा ,
वह भी
मैं गिरने लगी ।
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Ashok kumar ✍
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
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अपना बहमूल्य समय देने के धन्यवाद।
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