।। बांट के खाने में अपनापन है ।।
कहां देखने को ऐसा ,
मिलता आजकल है ।
बांट के खाने में देखो ,
कितना अपनापन है ।
कभी मैं भोजन लाती हूं ,
और
कभी तुम लाती है ।
हर दिन अपना प्यार से ,
ऐसे ही बीत जाती है ।
घर का फिकर नहीं हमें ,
जहां कहीं भी जाते हैं ।
कभी कभी अपना रात ,
हम डाली पर बिताते हैं ।
इन्हें भी पढ़िये :-
लड़ते भी हैं हम दोनों
,
कभी कभी किसी बात
पे ।
पर हम दोनों खाना तो
,
खाते हैं दोनो बांट के
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Ashok Kumar ✍
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