मुझे एक बार बैंक से पैसा निकालना था ।
कि घर में राशन डालना था ।।
कि घर में राशन डालना था ।।
मैं बैंक गया परची भरा ।
कर्मचारी के आगे धरा ।।
इन्हें भी पढ़िये :-
- क्यों नहीं आती मेरे घर
- दिल करता है मेरा मैं
- माँ तू भगवान के हाथों की
- लकड़ी चोर मुर्दा
- आज वर्षो बाद फिर ।शहर में दंगा भरका है ।।
- कितनी अच्छी मां है तुम
कर्मचारी तो पहले अकड़ा ।
फिर मेरा पासबुक पकड़ा ।।
एक-एक पेज उघारने लगा ।
मेरे ऊपर नजर मारने लगा ।।
वो पेज फटा था ।
जिस पर मेरा फोटो सटा था ।।
बोला फोटो और आप में फर्क हो रहा है ।
मुझे तोआप पर शक हो रहा है ।।
मैंने कहा ये बात कहने की है ।
ये फोटो तो दस साल पहले की है ।।
कर्मचरी से बात चल ही रहा थी कि ।
शिशे के कमरे से कैशियर चिल्लाया ।।
मेरा नाम लेकर बुलाया ।
पास गया तो मुझे देख कर झुन्झलाया ।।
मुझे से पूछा पर्ची में रकम कितना भरा है ।
मैनें कहा पर्ची आपके सामनें धरा है ।।
कैशियर
बोला इसमें दो हजार लिखा है ।
मैनें कहा आपको इतनी देर से दिखा है ।।
इन्हें भी पढ़िये :-
कैशियर से कहा ये कौन सा कार्य धरम है ।
आज बैंक के सारे कर्मचारी गरम है ।।
आप अपने बात करने का ढंग बदलिए।
काम करने का तरीका बदलिए।।
अगर ये नहीं बदल सकते है तो ।
अपना चश्मा का नम्बर बदलिए ।।
चश्मा का नम्बर बदलिए ।
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Ashok Kumar
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