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Thursday, May 17, 2018

बैंक कर्मचारी

                       














मुझे एक बार बैंक से पैसा निकालना था
कि घर में राशन डालना था ।।

मैं बैंक गया परची भरा

कर्मचारी के आगे धरा ।।



       कर्मचारी तो पहले अकड़ा 

      फिर मेरा पासबुक पकड़ा ।।

      एक-एक पेज उघारने लगा
      मेरे ऊपर नजर मारने लगा ।।

वो पेज फटा था
जिस पर मेरा फोटो सटा था ।।

      बोला फोटो और आप में फर्क हो रहा है
      मुझे तोआप पर  शक हो रहा है ।।
     मैंने कहा ये बात कहने की है
     ये फोटो तो दस साल पहले की है ।।

कर्मचरी से बात चल ही रहा थी  कि
शिशे के कमरे से कैशियर चिल्लाया ।।
मेरा नाम लेकर बुलाया
पास गया तो मुझे देख कर झुन्झलाया ।।


    मुझे से पूछा पर्ची में रकम कितना भरा है
   मैनें कहा पर्ची आपके सामनें धरा है ।।
   कैशियर बोला इसमें दो हजार लिखा है

कैशियर से कहा ये कौन सा कार्य धरम है
आज बैंक के  सारे  कर्मचारी गरम है ।।
आप अपने  बात करने का ढंग बदलिए।
काम करने का तरीका बदलिए।।


        अगर ये नहीं बदल सकते  है तो
        अपना  चश्मा का नम्बर बदलिए ।।
        चश्मा का नम्बर बदलिए 
  Thanks for reading        📝               
                                Ashok Kumar

यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता 
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