।। किक्कर का पेड़।।
की
नमक भी नही डाला खाने में ।।
जरा सी देर क्या हो गया नहानें में ।
बीबी डोरी भी नहीं डाला मेरे पैजामे में ।।
नहा कर बाथरुम से बाहर आते ही देखा ।
बीबी गुस्से में इधर से उधर चल रही थी ।।
बुझे चूल्हे पर दूध रख खा है ।
दूध तो ठंडा था पर बीबी उबल रही थी । ।
इन्हें भी पढ़िये :-
बोली बिना नमक के खाना है तो खा जाओ ।
नहीं ताे नमक के लिए बाजार जाओ ।।
मुझे बीबी की बात खल गया ।
और मैं निक्कर में ही घर से निकल गया ।।
मुझे निक्कर मे देख कर मेरा कुत्ता ।
हाथ धोके मेरे ही पीछे पड़ गया ।।
मै आगे कुत्ता मेरे पीछे भाग रहा था ।
कुत्ता रुकने का नाम नहीं ।
मैं बुरी तरह हाफ रहा था ।।
कुत्ता मुझे कोई और समझ रहा था ।
निक्कर में अपने ही मालिक को ।
मेरा कुता चोर समझ रहा था ।।
इन्हें भी पढ़िये :-
कुत्ते से मैं इस कदर डर गया ।
- क्यों नहीं आती मेरे घर
- दिल करता है मेरा मैं
- माँ तू भगवान के हाथों की
- लकड़ी चोर मुर्दा
- आज वर्षो बाद फिर ।शहर में दंगा भरका है ।
कुत्ते से मैं इस कदर डर गया ।
किक्कर से मैं कुत्ता को
डाँट रहा था ।
कुत्ता भौंक -भौंक कर मुझे ताक रहा था ।।
न
जाने कैसा मेरा उस दिन के योग थे ।
किसी को आवाज भी लगाता कैसे ।।
उधर से गुजरने वाले सभी ।
मेरे गली के ही लोग थे ।।
लोग सोच लेता की इसकी बीबी ने मारा है ।
इसलिए सारी रात किक्कर पर गुजारा है ।।
सारी रात किक्कर पर गुजारा है ।।
सारी रात किक्कर पर गुजारा है ।।
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Ashok Kumar
यह पोस्ट यही पर खत्म होता है. यह कविता
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