भिखारी
दिवस part 1
कोई सोमवार को माँगता है
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Ashok Kumar ✍
कोई सोमवार को माँगता है
कोई मंगल वार को माँगता है,
कोई चलते -चलते माँगता है,
कोई बैठ के माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं ?
कोई चावल माँगता है,
कोई आटा माँगता है,
कोई दाल माँगता है,
कोई हल्दी माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं ?
कोई घर-घर माँगता है,
कोई घर के बाहर माँगता है,
कोई डिब्बा लेकर माँगता है,
कोई हाथ में माँगता है, है,
ये भिखारी है कि नहीं ?
कोई पर्ची काट के माँगता है,
कोई गुप्त माँगता है,
कोई चुनाव के दिनों में माँगता है,
कोई चुनाव प्रचार में माँगता है, है,
ये भिखारी है कि नहीं?
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कोई सभा बुला के माँगता है,
कोई टेन्ट लगा लगा के माँगता है,
कोई भाषण देकर माँगता है,
कोई जुलूस निकाल के माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं?
कोई ट्रेन पर माँगता है,
कोई बस में माँगता है,
कोई ठेला पर माँगता है,
कोई मेला में माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं?
कोई बोरी पर बैठ कर माँगता है
कोई जमीन पर बैठ के माँगता है,
कोई ऑफिस में माँगता है,
कोई अदालत में माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं ?
कोई वर्दी में माँगता है,
कोई सिविल में माँगता है,
कोई गाड़ी रोक कर माँगता है,
कोई गाड़ी में हाथ डाल के माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं ?
कोई हाथ में डंडा लेके के माँगता है,
कोई लंगड़ा बन के माँगता है,
कोई आँख खोल के माँगता है,
कोई आँख बंद करके माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं?
कोई सड़क पर बैठ कर माँगता है,
कोई सड़क के किनारे सो कर माँगता है,
किसी का हाथ नहीं है तो माँगता है,
किसी का हाथ पैर है तो माँगता है,
ये भिखारी है कि नहीं ?
कोई चाय पानी के नाम पर माँगता है,
कोई ठंडा के नाम पर माँगता है,
कोई टेलीफोन पर माँगता है,
कोई टेवल के नीचे से माँगता है,
ये सारे ही भिखारी है'
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Ashok Kumar ✍
part 2
इतने सारे माँगने वाले ,
इतने सारे माँगने के तरीके,
अब बात स्पष्ट हो ही गया है तो,
सरकार को तारिख तय करके भिखारी दिवस का घोषणा
कर ही देना चाहिए ,
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बिना भिखारी दिवस के इतने लोग माँग रहे हैं ,
अगर भिखारी दिवस का घोषणा हो जाए तो,
उस दिन को धूम धाम और हर्षो उल्लास से मनाएंगे,
क्योंकि हमारे देश में किसी भी दिवस को धूम धाम से
त्योहार के जैसा मनाया जाता है ,
जरा सोचये भीखरी दिवस को त्योहार के तरह मनाएं
चार दिन पहले से भिखारी दिवस की तैयारी चल रहा होगा
बाजार में टूटे फुटे डब्बों ,फटे पुराने कपड़े का दुकान और मॉल
सजा होगा
लोग टूटे से डिब्बे और गंदा से गंदा रद्दी कपड़े खरीद रहे होंगे
तो उस दिन सभी के हाथ में डब्बा होगा सभी के कपड़े फटे होंगे
उस दिन कोई अमीर नहीं होगा ,कोई गरीब नहीं होगा
सब एक जैसा ,सब एक समान होगा,
हर तरफ से ये आवाज आ रहा होगा ऐ माई ,ऐ माई ,
श्रोताओ आप किस विषय पर व्यंग्य पढ़ना चाहते है
कोमेंट सेक्शन में कोमेंट करके बताएं।
Thanks
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